गोण्डा में 1.26 लाख छात्रों के अभिभावकों के खाते में भेजे 13.86 करोड
Gonda News: बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख 26 हजार 87 बच्चों के अभिभावकों के खातों में 13 करोड़ 86 लाख 95 हजार 700 रुपये भेजे गए हैं।

गोंडा। बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख 26 हजार 87 बच्चों के अभिभावकों के खातों में 13 करोड़ 86 लाख 95 हजार 700 रुपये भेजे गए हैं। इस धनराशि से अभिभावक बच्चों के लिए यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे और बैग खरीदेंगे।
अभी तक ठेकेदारों के माध्यम से सामग्री दी जाती थी। इस बार शासन ने नई व्यवस्था दी है। जिले के 3100 स्कूलों में पढ़ने वाले 3.80 लाख बच्चों के अभिभावकों को इस योजना का लाभ मिलना है।
प्रत्येक छात्रों के लिए अभिभावकों को 1100 रूपये दिये जाने हैं, जिसमें पहले चरण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। जिले के अभिभावकों के खाते में 41 करोड़ 80 लाख रूपये जाने हैं, अब शेष अभिभावकों के खातों में भी इसी महीने तक धनराशि भेज दी जाएगी।
कोरोना महामारी के चलते शैक्षिक सत्र 2021-22 में स्कूल तो खुले थे, लेकिन बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जा रहा था। एक सितंबर से बच्चों का स्कूल आना शुरू हुआ है। इसलिए अभी तक ड्रेस आदि की खरीद या वितरण नहीं हो सकी है।
गुणवत्ता को लेकर और समय से ड्रेस वितरण न होने से सवाल उठते थे। इससे बचने के लिए सरकार ने चुनावी साल में यह नया तरीका निकाला है। सभी के खातों की फीडिंग नहीं हो पाई है, फिर भी जिले में डीबीटी के माध्यम से हो रही फीडिंग में एक लाख 26 हजार 87 अभिभावकों के खातों में बजट भेजे जाने की कार्रवाई पूरी हो गई है। पहले चरण में 13 करोड़ 86 लाख 95 हजार 700 रुपये भेज दिए गए हैं।
जिला समन्वयक विनोद जायसवाल ने बताया कि अन्य अभिभावकों की फीडिंग का कार्य कराने का निर्देश दिया गया है। बीएसए जय प्रताप सिंह ने सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया है कि अभियान चलाकर प्रक्रिया पूरी कर लें। ठंड से पहले बच्चों को स्वेटर आदि की व्यवस्था उनके अभिभावक कर सकें।
विभाग ने बच्चों की सामग्री के लिए अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजनी शुरू कर दी है। अब उन्हें ही सामग्री लेनी है। नई व्यवस्था के तहत एक बच्चे को 1100 रुपये मिलेंगे। इसमें 600 रुपये यूनिफॉर्म, 200 रुपये स्वेटर, 125 रुपये जूते-मोजे और 175 रुपये स्कूल बैग के लिए शामिल हैं।
इस धनराशि से उन्हें सामग्री लेना है। बच्चों को स्वेटर, ड्रेस और जूते मोजे में बैग के साथ ही स्कूल भेजना है। अभिभावकों की ओर से विभाग से मिली धनराशि कम बताई जा रही है। बाजार मूल्य के आधार पर धनराशि न मिलने से उनके सामने समस्या है। पहले ठेकेदार एकमुश्त खरीद करते थे तो सामग्री सस्ते में मिल जाते थे। अब खरीद में दिक्कत होगी।
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